समर्पण
मैं नदी की तरह,पूर्ण समर्पण से बहती रही तुम लहरों की तरह मुझे स्पर्श कर चल गये । मैं तुम्हारी यादों को मन में सहजती रही तुम सब कुछ...
समर्पण
दिल्ली की आत्मा
कर्ण
कृष्ण भक्तिनी राधा
मेरे शहर के लोग
मीठी मुस्कान
प्रथम प्रणय
निर्भया
पूर्णता
अजन्मी बेटी की आर्तनाद
*जिंदगी*
समय की पुकार
धक्के
रैन बसेरा
अतीत के कोने से
अनकही
ऋतुपर्व!
कितने रावण मारोगे ( कविता )
मौन स्वीकृति
काश